प्रकाश की गति पर समय क्यों रुक जाती है ?

Fourth Dimension Explained

न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के मुताबिक :

प्रकाश की गति पर समय क्यों रुयक जाता है ? इसे जानने के लिए हमे पहले भौतिकी के कुछ सामान्य चीज़ो को समझना जरुरी है। प्रत्येक वस्तु का अपना एक बल होता है जिससे वह दूसरे वस्तुओ को अपने और आकर्षित कर सकता है। 

ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार पृथ्वी और दूसरे ग्रह अपने चन्द्रमा को अपने अक्ष में बंधे रखते है और सूर्य सभी ग्रहो को अपने चारो तरफ उनके कक्षा में। 

और इसी बल की वजह से हमारे ब्रह्माण्ड को आकर मिलता है। 

इन सभी बातो के सिद्ध होने के बाद भी बुद्धिजीवियों के सवालों में कमी नहीं हुई थी , इसके बाद भी यह सवाल रह गए थे कि 

 क्यों किसी वस्तु का द्रव्यमान किसी अन्य वस्तुओं आकर्षित करता है ?

प्रकाश की गति पर समय क्यों रुक जाती है ?

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वस्तुओं में यह बल कहा से आता है जिसे गुरुत्वाकर्षण कहते है ? गुरुत्वाकर्षण का केंद्र क्या है ? 

इन सभी सवालो का जवाब हमे मिलता है आइंस्टाइन के सापेक्षता के सिद्धांत से ,

पर रोचक बात यह है कि  ये सिद्धांत उनके दिमाग में आया कैसे ,

तो इस बारे में आइंस्टाइन बताते है कि  जब 1907 में वे एक व्यक्ति को अपने बिल्डिंग के शीशे साफ़ कर रहे कर्मचारी को हवा में लटकते हुए देखते है तो वे सोचते है कि , अगर यह व्यक्ति उस ऊंचाई से निचे गिरे तो धरती उसे वापस ऊपर नहीं धकेलेगी और यह एक फ्री फॉल होगा ,

पर अगर वही व्यक्ति स्पेसक्राफ्ट में बैठ कर 9.8 m /sq² से ऊपर जा रहा हो जो की गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर है तो दूर से देख रहे अन्य व्यक्ति को वह स्थिर दिखाई देगा क्योकि यह वह स्थिति है जब हवा में उड़ रहा व्यक्ति गुरुत्वाकर्षण बल के साथ नूट्रल स्टेज पर होगा। 

इसे ही समतुल्यता के नियम भी कहते है। 

इसका मतलब यह हुआ की गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर बल लगा कर अगर कोई वस्तु हवा में तैर रहा है तो वह वस्तु टेबल पर रखे किसी अन्य वस्तु के बराबर ही क्योकि दोनों पर गुरुत्वाकर्षण सामान रुप से बल लगा रहा होगा। 

आइंस्टाइन यही नहीं रुके उन्होंने आगे अपने प्रयोग में कल्पना किया कि  अगर एक कमरे में एक लेज़र बीम को स्थिर स्थिति में चालू किया जाये तो वह सीधी रेखा में ट्रेवल करेगा , परन्तु अगर वही लेज़र किसी स्पेसक्राफ्ट में रखा हो जो 9.8 m /sq² की गति से ऊपर जा रहा हो तो लेज़र का मार्ग धीरे से बैंड  हो जायेगा। ( यह घटना सिर्फ उसी स्थिति में होगी जब यह अंतरिक्ष में घटित हो रही हो )

आखिर ये प्रकाश बीम बैंड  क्यों और कैसे हो सकता है ?

देखा जाये तो यह होना हमारे समतुल्यता के नियम को पूरी तरह से गलत ठहरता है ,

तब आइंस्टाइन इस नतीजे पर पहुचे कि  अंतरिक्ष में सयत अंतर्निहित वक्रता है जिस कारन प्रकाश दुरी तय करते समय बैंड  हो जाता है। 

परन्तु यह तो हमारे समतुल्यता के नियम को गलत ठहरता है 

आइंस्टाइन ने इस पर यह कहाँ कि  हो सकता है कि  अंतरिक्ष गुरुत्वाकर्षण के उपस्थ्ति में वक्र हो जाता है जिससे एक भ्रम की स्थिति पैदा होती है और हमे प्रकाश का मार्ग बैंड  होता दिखता है। उन्होंने आगे कहाँ कि  अंतरिक्ष में कोई भी वस्तु अपने गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में एक वक्र बैंड बना लेता है जिसके कारन प्रकाश का मार्ग हमे बैंड  होता दिखाई देता है।

इसका एक अन्य आसान उदहारण :- हम एक ट्रैम्पोलिन लेते है और इस मध्य में एक भरी धातु का टुकड़ा रख देते है।  अब इसमें कल्पना किजिये कि ट्रैम्पोलिन हमारा स्पेस है और मध्य में रखा हुआ भार अंतरिक्ष में उपस्थित भारी वस्तु है ,

अब आप ट्रैम्पोलिन में कुछ मार्बल्स छोड़ दीजिये आप देखेंगे कि  वे मार्बल्स वस्तुके चारो और चक्कर लगाने लगते है और धीरे धीरे भारी वस्तुकि से चिपक जाते है या उस पर आ जाते है। 

एक अन्य प्रयोग की बात करते हुए आइंस्टाइन कहते हे कि 

 जानते है सापेक्षता के सिद्धांत के बारे में जिसे दिया था सर अल्बर्ट आइंस्टाइन ने सन 1915 में ,

जो बताता है कि स्थान और समय सापेक्ष हैं, और सभी गति संदर्भ के एक फ्रेम के सापेक्ष होनी चाहिए।

 जिसका अर्थ सरल शब्दो में कहे तो जिस वस्तु का जितना अधिक द्रव्यमान होगा वह वस्तु उतनी ही अधिक ताकत के साथ समय को बांध कर रखेगी , उसके आस पास के समय के बिताने का एहसास भी उतना ही धीमा और तेज होगा।

इसी तरह अंतरिक्ष में सूर्य एक बड़े ट्रैम्पोलिन में भार की तरह और सभी ग्रह छोटे मार्बल्स कि  तरह है।  

आइंस्टाइन के प्रयोगो में उन्होंने तीन आयामों के साथ समय को भी शामिल किया है। जिसे हम स्पेस टाइम भी कहते है। 

इन सब के बीच में टाइम की गणना इस प्रकार आती है कि आइंस्टाइन कहते है ; सापेक्षता के विशेष सिद्धांत के अनुसार प्रकाश की गति दृष्टा के लिए गतिमान अवस्था या स्थिर अवस्था में हो हमेसा वह एक सामान ही होती है , प्रकाश के मार्ग में अगर कोई अन्य वस्तुए आ जाये तो उसे अपनी आदर्श दुरी तय करने में सामान्य से थोड़ा अधिक समय लगता है , और इस घटना को गुरुत्वीय समय फैलाव कहाँ जाता है।

प्रकाश की गति पर समय क्यों रुक जाती है ?

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 आप हमारी आगे कि पृष्ठों में इससे आगे के विज्ञान और और उनके अन्य उदाहरणों के बारे में पढ़ सकते है , जो बिलकुल ही सरल भाषा में बताई गयी है .

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